What is Relay in Hindi | EE Hindi


What is Relay

    


Relay एक प्रकार का इलेक्ट्रिकल स्विच है जो इलेक्ट्रोमैग्नेट की मदद से एक स्विच के रूप में काम करता है। जैसे एक इलेक्ट्रिकल स्विच का कार्य किसी सप्लाई को ऑन या ऑफ करने का होता है वैसे ही Relay भी किसी परिपथ में धारा के प्रवाह को ऑन या ऑफ करती है।


आजकल मॉडर्न टाइप की Relay भी मार्केट में आ चुकी हैं जिनको सॉलिड स्टेट Relay कहते हैं इनमें इलेक्ट्रोमैग्नेट की सहायता से नही बल्कि सिग्नल के द्वारा Relay सर्किट को कंट्रोल किया जता है।


History of  first Relay




सैमुअल थॉमस वॉन सोमरिंग ने 1809 में पहली बार इलेक्ट्रो-केमिकल टेलीग्राफ के लिए  इलेक्ट्रोलाइटिक रिले को डिजाइन किया।
लेकिन 1835  मैं टेलीग्राफ मैं सुधार के लिए अमेरिकी वैज्ञानिक जोसेफ हेनरी ने Electrical Relay  का आविष्कार किया इन्हें ही Electrical Relay का अविष्कारक माना जाता है। 

Relay शब्द 1860 के बाद से electromagnetic operation कार्यों के कारण प्रचलन मैं आने लगा। 



Relay का प्रयोग क्यो करते हैं



Relay का उपयोग दो या दो से अधिक परिपथों को एक दूसरे से इलेक्ट्रिकली अलग करने के लिए किया जाता है
या जहाँ पर किसी परिपथ/सर्किट को लौ पावर सिगनल के द्वारा कण्ट्रोल करना जरूरी होता  है। Relay कण्ट्रोल करने वाले सर्किट और कण्ट्रोल किये जाने वाले सर्किट के बीच आइसोलेशन(अलगाव) का कार्य करता है। 


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Relay कैसे काम करती है 




Relay मैं भी दो मुख्य  सर्किट होते हैं एक तरफ प्राइमरी साइड दूसरी तरफ सेकेंडरी साइड होता है। 


Relay Primary Side


प्राइमरी साइड सामान्यतः DC सप्लाई से जुड़े हुए होते हैं इसको लौ वोल्टेज/करंट साइड भी कह सकते हैं इसमे Electromagnetic कॉइल लगा हुआ होता है। 

प्राइमरी साइड में Electromagnetic कॉइल होती है जब इस कॉइल से करंट गुजरती है तो वह मग्नतिक फील्ड बनाती है और एक फ़ोर्स जनरेट होता है जो ऊपर लगे आर्मेचर को अपनी ओर आकर्षित करता है। 

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Relay Secondary Side


सेकेंडरी साइड लोड से जुड़ा हुआ होता है जिस लोड को स्विच/कंट्रोल करने की आवश्यकता होती है। लोड यहां पे कोई भी इलेक्ट्रिकल मशीन/APPLIANCES हो सकता है। 

जैसे- पंखा, बल्ब, मोटर, या कोई भी दूसरा सर्किट 

जैसे ही Electromagnetic कॉइल में DC सप्लाई बन्द हो जाती है आर्मेचर अपनी पूर्व अवश्था में आ जाता है। और सेकंडरी साइड में धारा प्रवाह रुक जाता है।  

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सामान्यतः Relay दो तरीकों से बनाई जाती है। 
Normally Open Relay (NO)
Normally Closed Relay (NC)


Normally Close Relay (NC) 


जिस Relay की सेकेंडरी साइड सामान्य अवस्था में क्लोज रहती है और सप्लाई देने पर ओपन हो जाती है उसे NC Relay कहते हैं। 


Normally Open Relay (NO)


जिस Relay की सेकेंडरी साइड सामान्य अवस्था में ओपन रहती है और सप्लाई देने पर क्लोज हो जाती है उसे NO Relay कहते हैं।


Relay के प्रकार



आधुनिक समय में आवश्यकता के अनुसार बहुत प्रकार की Relay बाजार में आ चुकी हैं।  नीचे कुछ प्रकार दिए गए हैं जिनका सैद्धान्तिक नियम एक जैसा है। लेकिन क्रिया विधि अलग- अलग हो सकती हैं। 


  • Electromagnetic Relay
  • Electronic or Solid state Relay
  • Latching Relay
  • High-Voltage Relay
  • Small Signal Relay
  • Time Delay Relay
  • Thermal Relay
  • Ground Fault Relay
  • Automotive Relays
  • Frequency Relays
  • Polarized Relays
  • Moving Coil Relays
  • Buchholz Relays
  • Safety Relays
  • Supervision relays

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