Capacitor in Hindi | Definition, Working and Applications


Capacitor in Hindi



Electricity की खोज के बाद वैज्ञानिक Electricity को इकठ्ठा या संग्रहित करने  मैं नाकाम थे। क्यों की विद्युत् जनरेटर जिस समय Electricity को Generate करता है उसी  समय उसका उपयोग करना जरूरी होता है। और उपयोगकर्ता चाहते थे जब समय मिले तब हम बिजली का उपयोग कर सकें।



Capacitor in Hindi | Definition, Working and Applications


अतः इस कड़ी मैं जो पहला Electricity स्टोर करने का कॉम्पोनेन्ट बना उसको हम Condenser और बाद मैं Capacitor  के नाम से जानते हैं। जो विद्युत आवेश को कुछ देर के लिए संग्रहित कर सकता है और बहुत जल्दी चार्ज और डिस्चार्ज हो सकता है इसलिए यह बहुत उपयोगी और बैटरी से अलग भी है। 

तो आइये कुछ बेसिक सवालों से जानकारी लेते हैं। -


Q. Capacitor की खोज मैं पहला प्रयोग कब और किसके द्वारा किया गया ?




1745 में  Ewald Georg von Kleist ने पानी से भरे कांच के एक फ्लास्क मैं एक चालक (तार) को डाला और फ्लास्क को हाथ से पकड़ लिया। चालक का ऊपर का शिरा High  Voltage  Electrostatic  generator से जोड़ दिया। बाद मैं जनरेटर को बंद करने के बाद Kleist ने जब चालक को हाथ से पकड़ा तो उन्हें भयंकर झटका लगा और यह भी स्पष्ट हुआ कि इलेक्ट्रिकल ऊर्जा को संग्रहित किया जा सकता है।
 
History of Electricity मैं इस इलेक्ट्रिकल शॉक को बिजली का पहला झटका मानते हैं जो किसी भी इंसान को लगा था।

बाद में Benjamin Franklin ने स्पष्ट किया कि Kleist के प्रयोग में विद्युत आवेश ग्लास में स्टोर हुआ था ना कि पानी में। 



Q. Capacitor या Layden jar को पहली बार कब बनाया गया?




Capacitor को शुरुवात में Condenser कहा जाता था। जिसका अर्थ होता है 'संग्रहित करना'। 1746  में  Pieter Van Musschenbroek ने पहला ऐसा कॉम्पोनेन्ट बनाया जो Electrical energy को Electrostatic charge  रूप में संग्रहित कर सकता था इसको Layden Jar नाम दिया गया।
Battery के अविष्कार से पहले Capacitor ही ऐसा डिवाइस था जो विद्युत आवेश को कुछ देर के लिये स्टोर कर सकता था। 



Q. Capacitor की क्या परिभाषा है और इसका डिज़ाइन कैसा होता है ?




Capacitor इलेक्ट्रिकल सर्किट में विद्युत आवेश को संग्रहित या स्टोर करता है और बहुत जल्दी चार्ज और डिस्चार्ज हो सकता है। 

मैकेनिकल डिज़ाइन के हिसाब से कैपेसिटर बहुत प्रकार के होते हैं। लेकिन सब में दो मेटल प्लेट होती हैं।प्लेट साधारण तौर पर Aluminum foil  की बनी होती है। इन दोनों प्लेट्स के बीच में Dielectric पदार्थ भरा हुआ रहता है जो इंसुलेशन का काम करता है और साधारण तौर पर Glass, Ceramic, Mica आदि इंसुलेटिंग पदार्थों का बना होता है। Dielectric मटेरियल पूरी तरह से इंसुलेटर (कुचालक) नही होते हैं।



Q. Capacitor कैसे Working करता है ?




जब किसी मेटल को इलेक्ट्रिकल सप्लाई के धनात्मक शीरे से जोड़ते हैं तो उसमें धनावेश आ जायेगा।



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और जब किसी मेटल को इलेक्ट्रिकल सप्लाई के ऋणात्मक शीरे से जोड़ते हैं तो उसमें ऋणावेश आ जायेगा।



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Capacitor मैं भी दो मेटल प्लेट होती हैं जिनके बीच Dielectric material को भरा जाता है अब यदि हम कपैसिटर को 12Volt की DC Battery  से जोड़ दें तो Battery के ऋणात्मक शीरे से Electron निकलकर बैटरी के धनात्मक शीरे की तरफ जाने की कोशिश करते हैं लेकिन Dielectric material की वजह से बहुत कम Current  फ्लो होती है। 


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Capacitor की एक प्लेट High voltage (धनात्मक)  पर दूसरी प्लेट Low voltage (ऋणात्मक ) पर होती  है। इस तरह Capacitor फुल चार् (12Volt)हो जाता है। अब यदि हम बैटरी को हटा कर किसी Digital multimeter की सहयता से कपैसिटर के दोनों प्लेट्स  बीच Voltage मापें तो वह 12 Volt दिखायेगा। 


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अब यदि इस पूरी तरह चार्ज Capacitor  के धनात्मक शीरे से 2 Volt की LED का धनात्मक टर्मिनल और दूसरे शीरे पर ऋणात्मक टर्मिनल जोड़ें और 10 Volt के Drop के लिए परिपथ मैं एक  रेसिस्टर जोड़ दें तो LED  तब तक जलेगी जब तक कपैसिटर डिस्चार्ज नहीं जाता। 
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Capacitor कुछ ही देर मैं Full Discharge हो जाता है। और LED भी एकदम से नहीं जबकि धीरे-धीरे बंद होती है। 



Q. Capacitor का किसी परिपथ मैं क्या उपयोग होता है। 




Capacitor के बहुत से उपयोग हैं यहां पर हम मुख्य अनुप्रयोगो की बात करेंगे। 


Capacitor का पहला उपयोग Energy storage



Capacitor किसी परिपथ में अल्पकालिक बैटरी की तरह कार्य कर सकता है। Electrical power के साथ जुड़ने पर यह चार्ज हो सकता है और जब Supply में लॉस होने लगता है तब Capacitor डिस्चार्ज होने लगता है। इसलिए पहला काम चार्ज को स्टोर करने का होता है।



Capacitor का दूसरा उपयोग Smooth Rectification




जब Rectifier द्वारा AC को DC में बदला जाता है तो आउटपुट मैं Rectified वेव(DC current) 0° से अपने पीक पॉइंट तक जाती है फिर 180° पर आती है जिससे वेव के शुरू और अंत में Noise/Distortion आ जाता है।



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Capacitor के सर्किट में लगे रहने से वेव के शुरू और अंत के समय यह डिस्चार्ज होता है और वेव के पीक समय में चार्ज होता है जिससे आउटपुट मैं पूर्ण DC वेव प्राप्त होती है। 



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Capacitor का तीसरा उपयोग Power Factor improve 




Capacitor का एक बहुत  महत्वपूर्ण उपयोग Power factor  को इम्प्रूव करने मैं किया जाता है। Electrical  system  मैं Reactive power या Unused power की मात्रा को कम करने के लिए Capacitor bank(कपैसिटर को सीरीज/ पैरेलल मैं जोड़कर) का उपयोग किया जाता है। 

ज्यादातर इंडस्ट्री और बड़ी बिल्डिंग्स मैं मोटर और ट्रांसफार्मर कनेक्ट रहते हैं जो इंडक्टिव लोड ड्रा करते हैं जिससे Current, वोल्टेज से पीछे  है( Lagging case ) और इस Lagging current को आगे या Voltage के सामान लाने के लिए Capacitor bank का उपयोग किया जाता है। 




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