दोस्तो आज का आर्टीकल ट्रांसफार्मर के ऊपर लिया गया है। जिसमे हम जानेंगे What is Transformer in Hindi / Transformer Kya Hai / ट्रांसफॉर्मर क्या है। आपने छोटी क्लास से लेकर अभी तक हमेशा Transformer (ट्रांसफार्मर) के बारे में सुना होगा। पर आज हम जानेंगे ट्रांसफार्मर इन हिंदी, Transformer का कार्य सिद्धांत, Transformer के प्रकार, और Transformer के अनुप्रयोग क्या क्या होते हैं।
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Transformer
Transformer (ट्रांसफार्मर) एक स्टेटिक डिवाइस है। जो AC इलेक्ट्रिकल पावर को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफ़सर करता है। मुख्यतः ट्रांसफॉमर इलेक्ट्रिकल सर्किट में समान Frquency (फ्रीक्वेंसी) में वोल्टेज को स्टेप-उप (बढ़ाने) और स्टेप-डाउन (घटाने) का काम करता है।
कृपया नीचे दिखए -Transformer Diagram
Transformer का कार्य सिद्धांत
Transfomer का कार्य सिद्धांत Mutual Induction (म्यूच्यूअल इंडक्शन) पर काम करता है। जिसमे एक कॉमन मैग्नेटिक सर्किट से दो इलेक्ट्रिकल सर्किट (Windings) जुड़े हुए होते हैं। इन दोनों इलेक्ट्रिकल सर्किट को क्रमशः प्राइमरी वाइंडिंग्स और सेकेंडरी वाइंडिंग कहते हैं।
जब प्रत्यावर्ती धारा (Alternating current) करंट प्राइमरी वाइंडिंग में प्रवाहित होती है तो प्राइमरी वाइंडिंग में समान मात्रा में प्रत्यावर्ती अपवाह (Alternating flux) प्रोड्यूस होता है। इस फ्लक्स का परिमाण और दिशा वाइंडिंग में प्रवाहित करंट के समान होता है और प्रवाहित कर्रेंट की दिशा को फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम (Fleming right hand rule) के अनुसार होगी। क्योंकि प्रत्यावर्ती धारा में फ्रीक्वेंसी के कारण उसकी प्रकृति लगातार बदलने की होती है। अतः प्राइमरी वाइंडिंग में फ्लक्स भी लगातार बदलता रहता है। जिससे प्राइमरी वाइंडिंग में Self induced EMF (Electro motive force) जेनरेट होता है जिसकी पोलेरिटी इनपुट में अप्लाई किये गए वोल्टेज के अपोजिट होती है। इस क्रिया को सेल्फ इंडक्शन कहते हैं।
क्यो की Transformer की दोनों वाइंडिंग कॉमन मैग्नेटिक कोर से जुड़े होते है। इसलिए प्राइमरी वाइंडिंग में फ्लक्स के बदलने की दर के समानुपातिक Transformer की सेकेंडरी वाइंडिंग में भी EMF जेनेरेट होता है। यदि हम सेकंडरी वाइंडिंग के सर्किट को लोड के साथ क्लोज करें तो उसमे एक धारा प्रवाहित होने लगती है। अतः Transformer बिना फ्रीक्वेंसी को बदले इलेक्ट्रिक पावर को एक सर्किट से दूसरे सर्किट में ट्रांसफर करता है। इस पूरी प्रक्रिया को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Faraday's law of induction) कहते हैं।
Transformer के प्रकार
इलक्ट्रिकल पावर के जनरेशन, ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन और उपयोग के आधार पर Transformer अलग अलग प्रकार से उपयोग में लाये जाते हैं। लेकिन Transformer को मुख्यतः वोल्टेज को स्टेप-उप, स्टेप-डाउन और सर्किट को अलग करने के काम में लाया जाता था। जिस आधार पर Transformer तीन प्रकार का होता है।
- स्टेप-उप (Step-up Transformer)
- स्टेप-डाउन (Step-down Transformer)
- आइसोलेशन टाइप Transformer
यदि किसी Transformer के प्राइमरी वाइंडिंग में फेरों की संख्या (Number of turns) N1 है। और कुल सप्लाई वोल्टेज V1 है। तब प्राइमरी वाइंडिंग के प्रत्येक फेरे (Turn) में वोल्टेज V1/N1 होगी। हम जानते हैं इंडक्शन के कारण Transformer के सेकेंडरी के प्रत्येक फेरे में भी वोल्टेज V1/N1 ही होगी। अब यदि सेकेंडरी में कुल फेरों की संख्या N2 है तो कुल आउटपुट वोल्टेज V2 =N2(V1/N1) होगा।
स्टेप-उप Transformer
जब Transformer की आउटपुट में वोल्टेज (V2), सप्लाई वोल्टेज (V1) से ज्यादा होती है तो ऐसे Transformer को स्टेप-उप Transformer कहते हैं। या हम सकते हैं की जब सेकेंडरी में फेरों की संख्या (N2), प्राइमरी में फेरो की संख्या (N1) से ज्यादा होती है तो ऐसे Transformer को स्टेप-उप ट्रांसफार्मर कहते हैं। मुख्यतः ऐसे Transformer जनरेटिंग स्टेशन या ट्रांसमिशन लाइन से पहले लगाए जाते हैं।
V2>V1 OR N2>N1
स्टेप-डाउन Transformer
जब Transformer की सप्लाई वोल्टेज (V1), आउटपुट वोल्टेज (V2), से ज्यादा होती है तो ऐसे Transformer को स्टेप-डाउन Transformer कहते हैं। या हम सकते हैं की जब प्राइमरी में फेरों की संख्या (N1), सेकेंडरी मेें फेरों
की संख्या (N2) से ज्यादा होती है तो ऐसे Transformer को स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। मुख्यतः ऐसे Transformer डिस्ट्रीब्यूशन साइड में लगाए जाते हैं
V1>V2 OR N1>N2
आइसोलेशन टाइप Transformer
आइसोलेशन टाइप Transformer में प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग में फेरों की संख्या समान होती है। इसलिए इस प्रकार के Transformer में इनपुट और आउटपुट वोल्टेज का लेवल समान रहता है। ऐसे Transformer दो सर्किट को आइसोलेट (अलग) करने का काम करते हैं। अतः फेरों का अनुपात-
N1:N2 =1 OR N1=N2
|
N1:N2=1 |
इसके अलावा Transformer के प्रकार हैं-
- सिंगल फेज और थ्री फेज के आधार पर Transformer
- कोर मटेरियल के आधार पर Transformer
- वाइंडिंग के आधार पर Transformer
- यूटिलाइजेशन के आधार पर Transformer
Use of Transformer
(ट्रांसफार्मरका उपयोग)
Transformer के इलेक्ट्रिकल सिस्टम के साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में भी ऍप्लिकेशन्स हैं। इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन से लेकर घरों में पहुचने तक और उसके बाद इलेक्ट्रिसिटी के उपयोग के लिए बने उपकरणों में ही ट्रांसफार्मर का उपयोग होता है।
- Transformer के द्वारा लौ वोल्टेज को हाई करने से ट्रांसमिशन लाइन में लॉस कम हो जाते हैं।
- Transformer का उपयोग Impedance matching में किया जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में कम लेवल तक वोल्टेज को डाउन Transformer के द्वारा किया जाता है।
- Instruments Transformer द्वारा हाई करंट और वोल्टेज को मापा जाता है।
- Audio Transformer के द्वारा टेलीफोन लाइन में दोनो तरफ से कम्युनिकेशन होता है।
- Transformer का उपयोग Coupling (जोड़ना) या Isolation (हटाना) दोनो के लिए किया जाता है।
- Transformer का उपयोग वोल्टेज रेगुलेटर, SMPS, वोल्टेज स्टेबलाइजर, रेक्टिफायर, UPS आदि उपकरणों में किया जाता है।
आशा करते हैं दोस्तो आपको
What is Transformer in Hindi / ट्रांसफॉर्मर क्या है/ Transformer Hindi mein
आर्टिकल अच्छा लगा होगा यदि आपके कोई सवाल या सुझाव हैं तो आप नीचे कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं।
धन्यवाद।
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