What is Transistor in Hindi

दोस्तो आज हम जानेंगे Transistor क्या होता है। तो आइये शुरू करते हैं।

What is Transistor in Hindi

Transistors आज तक की गए अविष्कारो में सबसे महत्वपूर्ण Device में से एक है। जिसका उपयोग  Electronics परिपथों में किया जाता है।

Transistor एक छोटा सा Electronic डिवाइस हैं जिसके दो कार्य होते हैं-

1- एक कंट्रोल स्विच (ON/OFF बटन) की भांति काम करता है। 

2-  किसी Signal को Amplify करने के लिए। 

Note: Amplify का मतलब है Signal के amplitude को बढ़ाना। 


Transistor के प्रकार

आकार और प्रकार की दृष्टि से Transistor दो प्रकार के होते हैं-

1- Bipolar Transistor

2- Field Effect Transistor 

इस पोस्ट में हुम् सिर्फ Bipolar Transistor के बारे में बात करेंगे। 


Low Power Transistor:

लौ पावर ट्रांसिस्टर्स आमतौर पर BJT (Bipolar Transistors) होते हैं जिनमे बाहर से काले रंग का Rasin केस होता है और मेटल लेग्स या पिन लगी होती हैं।

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High Power Transistor:

हाई पावर ट्रांसिस्टर्स खासतौर के FET(Field Effect Transistors) होते हैं जिनमे काले  रंग के Resin case के ऊपर Heat को sink या कम करने के लिए metal body- दी जाती हैं।

What is Transistor in Hindi



Transistor को कैसे पहचाने

किसी Transistor की स्पेसिफिकेशन(spec.), मेक या फिर रेटिंग को समझने के लिए Transistor की बॉडी में जो नंबर लिखे होते हैं उसे पड़ना चाहिए।  इन नंबर्स को आमतौर में MPN मतलब Manufacturer Part Number कहते हैं। 

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ये Body marking हमको उसका मैन्युफैक्चर्ड पार्ट नंबर बताता है जिससे हम उस Transistor की डेटा शीट को ढूढ सकते हैं।  इस शीट में Transistor की वोल्टेज और करंट की क्षमता को भी दिया होता हैं जिसे देखना आवश्यक है। 

Data Sheet देखने के लिए इस साइट को भी रेफेर कर सकते हैं- All Data Sheet


SMT Transistor की पहचान: 

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SMT क्या होता हैं जाने- SMT Full Form, SMD components in Hindi



Transistor की Legs E,B,C : 

Transistor में हमारे पास  3 PIN होते हैं। जिन पर E, B और C लिखा होता है। 

E- Emmiter एमिटर

B- Base बेस

C- Collector कलेक्टर

सामान्यतः चपटे रेसिन वाले Transistor में बाई ओर E बीच में B और अंतिम पिन C होती है। 

(कृपया Transistor की बॉडी मार्किंग MPN को गूगल में डाल कर Data sheet जरूर देखें)


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Bipolar Transistor - NPN और PNP:

NPN और PNP दोनो Transistor एक ही जैसे दिखते हैं। कौन  सा Transistor NPN और PNP है इसका पता या तो हम मल्टीमीटर से या फिर Data sheet से कर सकते हैं।

NPN- Negative-Positive-Negative

PNP- Positive-Negative-Positive


Transistor Symbol

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ऊपर दिए गए Transistor के सिंबल पिक्चर से हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं -

1- NPN Transistor में कन्वेंशनल करंट की दिशा बेस B से एमिटर E की तरफ होती है। 

2- PNP Transistor में कन्वेंशनल करंट की दिशा एमिटर E से बेस B की तरफ होती है। 



Transistor का परिपथ में प्रयोग


Transistor स्विच की तरह:

Transistor को ON करने के लिए बेस B टर्मिनल पर बहुत थोड़े से वोल्टेज की आवश्यकता होती है। 

Voltage= 0.6 - 0.7 Volt 

Current= 1mA या उससे कम 

इतने इनपुट को अप्लाई करने से ही Transistor ON हो जाता है और परिपथ में करंट फ्लो होने लगती है। यदि इस इनपुट को हटा दिया जाए तो ट्रांजिस्टर OFF हो जाता है। 


हम इस कंट्रोल सर्किट में अर्थात बेस B टर्मिनल पर एक रिमोट कंट्रोल Switch या फिर कोई सेंसर लगाकर भी Transistor को कंट्रोल ON या OFF कर सकते हैं। 



Transistor एम्पलीफायर की तरह:

ट्रांजिस्टर का दूसरा गुण बहुत उपयोगी है जैसे किसी माइक्रोफोन के थोड़े से इनपुट(ऑडियो इनपुट)  को ऑडियो एम्पलीफायर के द्वारा बड़े साउंड में बदल दिया जाता है। 


नीचे दिए गए बिंदुओं में ध्यान दें-


1- बेस पिन पर 0.6V देने पर Transistor थोड़ा ON होता है अतः आउटपुट (ऑडियो,लाइट आदि) काम मिलता है। 

2- बेस पिन पर 0.7V देने पर Transistor थोड़ा अधिक ON होता है अतः आउटपुट अधिक मिलता है। 

3- बेस पिन पर 0.8V देने पर Transistor पूरा ON होता है अतः आउटपुट भी बहुत अधिक मिलता है। 


अतः बेस पिन पर बहुत हम बदलाव(0.1 या 0.2V) करने से हम आउटपुट में बहुत बड़ा बदलाव कर सकते हैं। यह ट्रांजिस्टर का Amplification का गुण हैं। 



इसको हम ट्रांजिस्टर का गेन वैल्यू निकाल कर समझ सकते हैं।  

यदि Base Current = <1mA

तो Collector Current= 100mA (लगभग)

Current Gain = 100/1 =100


गेन वैल्यू हमको 100 मिला है क्योंकि बेस करंट की मात्रा 1mA या उससे कम होने पर भी कलेक्टर करंट 100mA तक चली जाती है।

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